दिल नहीं करता
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3y ago
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मथुरा का एक ग्वाला.......
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मौत ?
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4y ago
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क्यूँ ?
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SHER
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चलो सो जाते हैं ।
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4y ago
चलो सो जाते हैं तुम हो जाना किसी ओर के  ओर हम तुम्हारे हो जाते हैं चलो सो जाते हैं किनारा भी नज़दीक नहीं मुड़ने की कोई रीत नहीं वक्त की लहरे ख़िलाफ़ हैं तो इन लहरों के संग हो जाते हैं चलो सो जाते हैं ख़ुदा भी नाराज़ हैं दिल में छुपे कई राज़ हैं किसी दुःखद गाने के साज़ हैं ये चीख है या आवाज़ हैं ? चलो कान बंद करके खामोशी में कहीं खो जाते हैं चलो सो जाते हैं हक़ीक़त से क्यूँ भागें हम इस डर से क्यूँ अब जागें हम मौत तो एक दिन आनी है जान भी चली जानी है  ..read more
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मेरा अपना कोई नहीं ।
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4y ago
मेरा अपना कोई नहीं मेरा अपना कोई नहीं उस वक़्त में रातें सोई नहीं मेरा अपना कोई नहीं एक कश्ती दी छोटी मुझको और सामने गहरा दरिया था मैं खुश कैसे तन्हाई मैं ये दुःख देने का ज़रिया था वो आँख भी उस दिन रोइ नहीं के मेरा अपना कोई नहीं वो फुल पतझड़ में खिला हुआ वो शक़्स किसी से मिला हुआ वो लम्हें साथ बिताए जो उन लम्हों का भी गिला हुआ वो फसल जो मैंने बोई नहीं के मेरा अपना कोई नहीं टूट - टूट कर बिखरा था पत्थर चोंटो से निखरा था पत्थर ही था पत्थर ही रहा मैं खुद पर कैसे इतराता हर रात आस सवेरे की जो न दिखता उस चेहरे की ये जंग ही है खुद की खुद से ना तेरे की ना मेरे की वो ज्योत भी फिर से जोई नहीं ..read more
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मचल रही है आरज़ू
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4y ago
मचल रही है आरज़ू  जल रही है आबरू इस ज़लज़ले से भाग तू सो मत अब जाग तू तू क्या है ये ज्ञात कर शीशे से तू ये बात कर हो तुझको तेरी जुस्तजू मचल रही है आरज़ू जल रही है आबरू अपनो को दिल है खोजता न मिलने पर है सोचता मैं किस किस पर बोझ था कितने दिन मैं रोज़ था ज़रूरतों पर दौड़ता किसके हाथ जोड़ता दौडूं ओर या सांस लूँ मचल रही है आरज़ू जल रही है आबरू तिलतिल हूँ मर रहा क्या किया था क्या कर रहा वो दिया भीतर जल रहा वो लोहा भी पिघल रहा ज़िंदा है अभी रूह भी कोयल भी है और कुह भी आ खुद को खुद ही हाथ दूँ मचल रही है आरज़ू जल रही है आबरू मैं कब तक ये सब सहन करूँ मर जाऊँ या रहम करुँ के अब ..read more
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