BLANK VOICE
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4y ago
चलो सो जाते हैं
तुम हो जाना किसी ओर के
ओर हम तुम्हारे हो जाते हैं
चलो सो जाते हैं
किनारा भी नज़दीक नहीं
मुड़ने की कोई रीत नहीं
वक्त की लहरे ख़िलाफ़ हैं
तो इन लहरों के संग हो जाते हैं
चलो सो जाते हैं
ख़ुदा भी नाराज़ हैं
दिल में छुपे कई राज़ हैं
किसी दुःखद गाने के साज़ हैं
ये चीख है या आवाज़ हैं ?
चलो कान बंद करके
खामोशी में कहीं खो जाते हैं
चलो सो जाते हैं
हक़ीक़त से क्यूँ भागें हम
इस डर से क्यूँ अब जागें हम
मौत तो एक दिन आनी है
जान भी चली जानी है  ..read more
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4y ago
मेरा अपना कोई नहीं
मेरा अपना कोई नहीं
उस वक़्त में रातें सोई नहीं
मेरा अपना कोई नहीं
एक कश्ती दी छोटी मुझको
और सामने गहरा दरिया था
मैं खुश कैसे तन्हाई मैं
ये दुःख देने का ज़रिया था
वो आँख भी उस दिन रोइ नहीं
के मेरा अपना कोई नहीं
वो फुल पतझड़ में खिला हुआ
वो शक़्स किसी से मिला हुआ
वो लम्हें साथ बिताए जो
उन लम्हों का भी गिला हुआ
वो फसल जो मैंने बोई नहीं
के मेरा अपना कोई नहीं
टूट - टूट कर बिखरा था
पत्थर चोंटो से निखरा था
पत्थर ही था पत्थर ही रहा
मैं खुद पर कैसे इतराता
हर रात आस सवेरे की
जो न दिखता उस चेहरे की
ये जंग ही है खुद की खुद से
ना तेरे की ना मेरे की
वो ज्योत भी फिर से जोई नहीं
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4y ago
मचल रही है आरज़ू
जल रही है आबरू
इस ज़लज़ले से भाग तू
सो मत अब जाग तू
तू क्या है ये ज्ञात कर
शीशे से तू ये बात कर
हो तुझको तेरी जुस्तजू
मचल रही है आरज़ू
जल रही है आबरू
अपनो को दिल है खोजता
न मिलने पर है सोचता
मैं किस किस पर बोझ था
कितने दिन मैं रोज़ था
ज़रूरतों पर दौड़ता
किसके हाथ जोड़ता
दौडूं ओर या सांस लूँ
मचल रही है आरज़ू
जल रही है आबरू
तिलतिल हूँ मर रहा
क्या किया था क्या कर रहा
वो दिया भीतर जल रहा
वो लोहा भी पिघल रहा
ज़िंदा है अभी रूह भी
कोयल भी है और कुह भी
आ खुद को खुद ही हाथ दूँ
मचल रही है आरज़ू
जल रही है आबरू
मैं कब तक ये सब सहन करूँ
मर जाऊँ या रहम करुँ
के अब ..read more